तेल आधारित अर्थव्यवस्थओं के धराशायी होने से ट्रक एक्सपोर्ट गिरा
Published On May 27, 2016
मिडल ईस्ट तथा अफ्रीकन देशों में स्थित दुनिया की प्रमुख तेल आधारित अर्थव्यवस्थाओं के धराशायी होने की वजह से भारतीय कमर्शियल व्हीकल एक्सपोर्ट में काफी कमी आई है। हालांकि घरेलू मार्केट में एक बार फिर से सकारात्मक उत्थान आया है। यह सकारात्मक दृश्य स्मॉल कमर्शियल व्हीकल्स तथा एम एंड एचसीवी सेगमेंट में बड़े समयान्तराल के बाद आया है। परसेंटेज के संबंध में एक्सपोर्ट में यह गिरावट अप्रैल 2015 में बिकी 7.014 यूनिट्स की तुलना में अप्रैल 2016 में बिकी 6,826 यूनिट्स के साथ 2.7 फीसदी रही।
इस में सबसे बड़ी गिरावट स्मॉल कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में आई जो कि 10.2 फीसदी की रही। यूनिट्स के संबंध में यदि अप्रैल 2015 में बिकी 4,684 यूनिट्स की तुलना में बात की जाए तो अप्रैल 2016 में यह 4,206 यूनिट्स की रही। स्मॉल कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट को छोड़कर संपूर्ण गुड्स कैरियर में 12.4 फीसदी की गिरावट रही। अशोक लीलैंड ने एक फर्म के तौर पर 34.5 फीसदी की गिरावट का सामना किया। इस फर्म ने अप्रैल 2015 में 1019 यूनिट्स एक्सपोर्ट की थी, जबकि अप्रैल 2016 में यह आंकड़ा महज 668 यूनिट्स का रहा।
अन्य दो प्रमुख फर्मो जैसे टाटा मोटर्स और महिन्द्रा का भी यही हाल रहा। महिन्द्रा के एक्सपोर्ट रिकॉर्ड स्तर पर 2.4 फीसदी की गिरावट आई जिस ने में अप्रैल 2016 में महज 1,949 यूनिट्स एक्सपोर्ट की। वहीं, सबसे बड़े एक्सपोर्टर टाटा मोटर्स ने अप्रैल 2015 में 3,656 यूनिट्स बेची थी जिसकी तुलना में अप्रैल 2016 में केवल 3,436 यूनिट्स एक्सपोर्ट की जो कि 6 फीसदी कम रही।
इन हालातों पर बोलते हुए पीडब्लूसी पार्ट्नर श्री अब्दुल मजीद ने कहा कि “भारत से बड़ी संख्या में मिडल ईस्ट तथा अफ्रीकन देशों जैसे नाईजीरिया और अल्जीरिया आदि में कमर्शियल व्हीकल्स के एक्सपोर्ट में पिछले एक साल से तेल की कीमतों में गिरावट आने की वजह से बड़ी कमी आई है।” उन्होंने कहा कि “कई फर्मो ने अपने एक्सपोर्ट बेस बनाने के लिए चुनिंदा अफ्रीकन देशों को टारगेट कर चुकी है लेकिन मंदी ने यहां पर एक्सपोर्ट को कठिन बना रखा है।”