सियाम ट्रक्स और बसेस के लिए फ्यूल एफिशियंसी नॉर्म्स की जांच करेगी
Published On Jun 13, 2016
यदि सब कुछ सही रहा तो हेवी ड्यूटी ट्रक्स और बसेस के फ्लीट ऑनर्स फ्यूल एफिशियंसी नॉर्म्स प्राप्त कर सकते हैं जिनकी वजह व्हीकल्स को और अधिक फ्यूल एफिशियंट बनाना है। राष्ट्रीय राजधानी के सेट अप तथा बढ़ते हुए प्रदूषण लेवल को कम करने के सन्दर्भ में नोटिस जारी करने के बाद सरकार देश के अन्य हिस्सों में भी फ्यूल एफिशियंट नॉर्म्स लागू करने की कोशिश कर रही है।
दी सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मॅन्युफॅक्चरर्स ऑफ इंडिया (सियाम) वर्तमान में पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस मंत्रालय, रोड़ ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज मंत्रालय तथा हेवी इंडस्ट्री मंत्रालय से बातचीत कर रही है, जिस का मकसद फ्यूल की कम खपत कॉन्टेंट स्पीड वॉलेसिटी मेथोलॉजी जैसे तरीके को अपनाना कर करना हैं।
सियाम के डायरेक्टर जनरल श्री विष्णु माथुर ने कहा कि हालांकि फ्यूल एफिशियंसी को एक्सेस करने का यह तरीका वैज्ञानिक तौर पर पूरी तरह से सही नहीं है, लेकिन सरकार की तरफ से दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है, जिस के तहत कमर्शियल व्हीकल्स में फ्यूल एफिशियंसी को बढ़ाना है।
ऑटो कार प्रोफेशनल्स की रिपार्ट के मुताबिक फायनेशिंयल ईयर 2015 में ट्रांसपोर्ट सेक्टर ने 48.62 एमएमटी डीजल की खपत की जो कि देश में होने वाली डीजल की खपत का 70 फीसदी है। साल 2013 में आई नैल्सेन की रिपोर्ट के मुताबिक हेवी कमर्शियल व्हीकल्स, लाइट कमर्शियल व्हीकल्स तथा बसों ने कुल मिलाकर 38 फीसदी डीजल की खपत की।
डीजल ईंधन का उपयोग आने वाले समय और अधिक बढ़ने वाला है, जिस का कारण कार्गो व्हीकल्स की मांग बढ़ना है। इसकी वजह इनकम का बढ़ना, इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपलमेंट पर फोकस होना तथा अर्थिक गतिविधियो का बढ़ना है। इसके अलावा साल 2025 तक ट्रक सेल्स सीधे तौर पर बढ़ने वाली है। साल 2013 में यह 8.9 फीसदी रही। इस वजह से एकाएक तौर पर सड़क पर चलने वाले हेवी व्हीकल्स के लिए फ्यूल एफिशियंसी को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।