निसान के साथ अलगाव के चलते अशोक लीलैंड के शेयर 3 फीसदी तक गिरे
Published On Feb 24, 2016
ऐसा लग रहा है कि अशोक लीलैंड अपने ज्वॉइंट वेंचर पार्टनर निसान के साथ झगड़े की कीमत चुका रहा है। कंपनी के शेयरों में 3 फीसदी की गिरावट उसी समय आग गई जब मीडियो में इस बारे में खबर चली है कि निसान ने भारतीय फर्म को उसके साथ अपना ज्वॉइंट वेंचर खत्म करने का नोटिस दिया है।
इस विषय पर आधारित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि “जापानी ऑटो मेजर निसान और हिंदुजा ग्रुप की फ्लैगशिप अशोक लीलैंड का घिरा हुआ ज्वॉइंट वेंचर उस समय सबसे निम्न स्तर पर आ गया जब निसान ने उनकी तीन ज्वॉइंट वेंचर वाली कपंनियों को टर्मिनेशन का नोटिस दिया। इस से यह बात सामने आई कि इनका एक साथ बढ़ता हुआ बिजनेस अब खत्म होने के कगार पर है।”
जापानी फर्म का दावा है कि अशोक लीलैंड इसकी 2.34 करोड़ रूपयों की रॉयल्टी दबाकर बैठी है, और इसे देने के लिए इस भारतीय फर्म ने मना कर दिया है। अशोक लीलैंड ने आरोप लगाया है कि निसान ने गैर कानूनी तरीके से उसके असेंबली प्लांट को सरकारी नियमों और रेगुलेशंस के विरूद्ध काम में लिया है।
इन दोनों ही कंपनियों ने ईपीसीजी (एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स) का हिस्सा होते हुए सरकार से लाभ प्राप्त किया है। यह स्कीम एक्सपोर्ट्स को प्रमोट करने तथा व्हीकल्स का प्रोडक्शन बढ़ाने वाली मशीनरी का आयात करने की सुविधा देने पर आधारित है। यह ज्वॉइंट वेंचर कंपनी इन प्रोडक्शन टूल्स को अपने ‘स्टाइल’ तथा ‘इवेलिया’ यूटिलिटी व्हीकल्स को असेंबल करने के आयात कर चुकी है। इसके लिए इन दोनों कंपनियों द्वारा एक सहमति पत्र भी साइन किया गया था जो इस आयात के बारे में सही लोकेशन को भी बताता है।
साल 2008 में निसान तथा अशोक लीलैंड दोनों ने 2.5 टन से 7.5 टन सेगमेंट के एलसीवी डेवलमेंट करने के लिए हाथ मिलाया था। इन दोनों ही फर्मों ने तीन अलग अलग तरह के ज्वॉइंट वेंचर स्थापित करने के लिए विभिन्न तरह के सहमति पत्र साइन किए थे। इनमें व्हीकल मॅन्युफॅक्चरिंग, टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट तथा इंजन मॅन्युफॅक्चरिंग शमिल थे। इन दोनों कंपनियों की पार्टनरशिप के तहत आने वाला पहला एलसीवी अशोक लीलैंड ‘दोस्त’ था। इसे 2.5 टन सेगमेंट अन्तर्गत लॉन्च किया गया था तथा यह सफल रहा।