एनजीटी के नए आदेश की वजह से एनसीआर की सड़कों पर 70 फीसदी ट्रक्स कम हो जाएंगे
Published On Jul 20, 2016
नेशनल केपिटल रीजन (एनसीआर) को प्रदूषण मुक्त स्थान बनाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने रोड़ एंड ट्रांसपोर्ट अथॉरिटीज को 10 साल पुराने डीजल कॅमर्शियल व्हीकल्स को डी-रजिस्टर करने के लिए समन जारी किया है। यदि ऐसा होता है तो अच्छी हाल में चल रहे लगभग 70 फीसदी व्हीकल्स को जंग लग जाएगी। इस निर्णय ने सभी फ्लीट ऑनर्स और स्टेट अथॉरिटीज में खलबली मचा दी है, और वह इस समस्या का निदान पाने के लिए देश की शीर्ष अदालत का दरवाज़ा खटखटाएँगी।
इस की वजह से लगभग 1.30 लाख डीजल कार्गो कमर्शियल व्हीकल्स के अलावा 90000 यूनिट्स डी-रजिस्ट्रर्ड कर दी जाएगी, इन में से 13000 डीजल पेसेंजर कमर्शियल व्हीकल्स शामिल हैं, जिन में से 11500 को जंग लग जाने वाला है। इसी वजह से दूध तथा सब्जियों और सिटी ट्रांसपार्टेशन जैसी सेवाओं पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। इस के अलावा आरटीओ के मुताबिक 1200 में से 900 एंबुलेंस भी अब लगातार सर्विस देने के लिए अनफिट घोषित कर दी जाएगी।
एनजीटी ने सरकार से भी 15 साल से अधिक पुराने व्हीकल्स को स्क्रैप में बदलने के लिए पूछा है। ऐसा करने के लिए डीडीए ने भी ऐसे बिना काम के व्हीकल्स के लिए पार्किंग की जगह मुहैया कराने के लिए पूछा है। इस ट्रिब्यूनल ने केन्द्र सरकार से भी इस पूरे शहर में धीमी गति से हो रहे काम के बारे में पूछा है। उस ने कहा है कि “आपने कुछ भी नहीं किया। हमें विश्वास हो चुका है कि आप कुछ भी नहीं करना चाहते। इस में जमीनी हकीकत ये है कि सरकारी मशीनरी कहीं काम करना नहीं चाहती।”
इस निर्णय पर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के स्पेशल कमिशनर श्री के के दहिया ने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले से ही डीजल व्हीकल्स के लिए दिशा-निर्देश दिए हुए हैं। ये आदेश एनजीटी के बिल्कुल विपरीत होंगे तथा इस काम को करने के लिए पहले मंजूरी आनी जरूरी है।” हालांकि, एनजीटी का मकसद एनसीआर को प्रदूषण मुक्त बनाना है। इस ट्रिब्यूनल ने 2.83 लाख डीजल व्हीकल्स को इस साल के अंत से पहले सड़कों से हट जाने के लिए समन जारी किया है। इन में से 1.61 लाख प्राइवेट व्हीकल्स हैं।
एक बार यदि स्क्रैपिंग और इंपाउंडिंग हो जाती है, तो कमर्शियल व्हीकल इंडस्ट्री में जबरदस्त उछाल आएगा तथा एनसीआर में रिप्लेसमेंट की मांग भी सीधे तौर पर जबरदस्त रूप से बढ़ेगी।