एम एंड एचसीवी सेल्स स्थिर ग्रोथ के बाद जुलाइ 2016 में गिरी
Published On Aug 16, 2016
दो साल की अच्छी ग्रोथ दर्शाने के बाद पिछले महिने मीडियम और हेवी कमर्शियल व्हीक्ल्स (एम एंड एचसीवी) सेगमेंट में ख़ासी गिरावट देखने को मिली। हालाँकि, दूसरी तरफ देखा जाए तो लाइट कमर्शियल व्हीक्ल्स (एलसीवी) सेक्टर गत कई महीनों से सेल्स में बढ़ोतरी देख रहा है। अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इस सब के बावजूद इंडस्ट्री किसी भी प्रकार की कोई उम्मीद नहीं छोड़ रही है और इनफ्रास्ट्रक्चर और कन्स्ट्रक्षन इंडस्ट्री के बढ़ते कदमों को लेकर सकारात्मक हैं जो की एम एंड एचसीवी की सेल्स को बढ़ावा देने में मदद करेंगे।
इस साल जून में न्यूनतम ग्रोथ देखने के बाद, हेवी व्हीक्ल्स की सेल्स जुलाइ 2016 में 21307 यूनिट्स रही पिछले साल जुलाइ के 23061 यूनिट्स के मुक़ाबले।
इस साल जून में न्यूनतम ग्रोथ देखने के बाद, हेवी व्हीक्ल्स की सेल्स जुलाइ 2016 में 21307 यूनिट्स रही पिछले साल जुलाइ के 23061 यूनिट्स सेल्स के मुक़ाबले। इस तरह गिरावट 7.61 प्रतिशत दर्ज की गयी. यहाँ गत दो सालों से सेल्स आँकड़ों को नई उँचाई मिली है, जिससे वित्तीय वर्ष 2015-16 में 30 प्रतिशत देखने को मिली। इस दौरान कुल सेल्स 302373 यूनिट्स की हुई वित्तिय वर्ष 2014-15 के 232755 यूनिट्स के मुक़ाबले। बसेस और ट्रक्स के सेल्स की तुलना की जाए तो ट्रक्स की साल दर साल की सेल्स में 32 प्रतिशत की ख़ासी बढ़त देखने को मिलती है।
गौरतलब है की वित्तीय वर्ष 2013 और वित्तीय वर्ष 2014 में पिछड़ने के बाद से मीडियम एंड हेवी व्हीक्ल्स की सेल्स में अगस्त 2015 में 9 प्रतिशत की बेहतरी आई है साल दर साल की बढ़त के आधार पर।
इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रैनिंग में वरिष्ठ फेलो श्री एस पी सिंह ने मौजूदा हालात पर रोशनी डालते हुए बताया की, "एम एंड एचसीवी सेगमेंट में मंदी के कई कारण हैं, जैसे के माइक्रो इकॉनॉमिक इंडिकेटर्स अभी कमज़ोर हैं और ट्रांसपोर्टेर्स फिलहाल नये ट्रक्स को बड़ी फ्लीट्स के तौर पर खरीदने में सावधानी बरत रहे हैं और यह मार्केट में फिलहाल अंडर यूटिलाइज़्ड है।"
हालाँकि, एक्सपर्ट्स का मानना है की वित्तीय वर्ष 2016-17 की ओवरऑल सेल्स में 10 से 12 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिली है कई सारे फेकटर्स की वजह से। ट्रक सेल्स रीप्लेस्मेंट डिमांड की वजह बढ़ेंगी, टिपर्स की सेल्स में उछाल आएगा माइनिंग और कन्स्ट्रक्षन सेगमेंट्स में सुधार के कारण और इसके साथ साथ फ्लीट ओनर्स ट्रक्स को एडवांस में खरीदने को तरज़ी देंगे क्योंकि अप्रैल 2017 से भारत स्टेज 4 (बीएस 4) लागू हो जाएगा जिससे निश्चित तौर पर प्राइसस बढ़ेंगी।
एक इंटरव्यू में ऑटोकार प्रोफेशनल, श्री रवि पिशारोदि, जो की टाटा मोटर्स कमर्शियल व्हीक्ल्स डिवीज़न में एग्ज़िक्युटिव डाइरेक्टर हैं ने कहा की, "देखा जाए तो ओवरऑल इकॉनोमी ठीक चल रही है, लेकिन कस्टमर्स गूड्स सेक्टर अच्छे परिणाम नहीं दे रहा है। हम जल्दी ही कन्स्ट्रक्षन और इनफ्रास्ट्रक्चर के अंतर्गत मज़बूत सुधार देखने के लिए तत्पर हैं. जहाँ तक बात है रोड कन्स्ट्रक्षन की तो वो काफ़ी अच्छा चल रहा है, फिर भी मास रीटेल ने वो रफ़्तार नहीं पकड़ी है जिसकी उम्मीद है।"
हालाँकि, अभी फिलहाल मार्केट धुँधला नज़र आ रहा है, फिर पुर चान्सस हैं इसके बड़े रिवाइवल होने के और साथ ही कमर्शियल व्हीकल इंडस्ट्री के उत्थान के। यहाँ, एक अच्छा मान्सून बेहतर एग्रीकल्चर प्रोडक्षन ला सकता है, साथ ही एफएमसीजी में भी डिमांड बढ़ना तय है त्योहारी माहॉल की वजह से, इस के अतिरिक्त, जीएसटी बिल को लेकर सकारात्मकता और सातवें वेतन आयोग लागो होने के बाद लोगों के खर्च करने की आदत में वृद्धि, यह सभी कारण ट्रकिंग इंडस्ट्री की मदद करेंगे उसको वापस ट्रेक पर लाने में।
एम एंड एचसीवी सेल्स के विपरीत, एलसीवी सेक्टर सेल्स में दम दिखाता दे रहा है जो लगातार कई महीनों से बढ़त की ओर चल रहा है। पिछले महीने, एलसीवी सेल्स में 6.31 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गयी, जिससे की कमर्शियल इंडस्ट्री को उभरने में मदद मिली और साल दर साल की बढ़त के आधार पर 0.11 प्रतिशत रिजिस्टर की गयी। इस तरह कमर्शियल व्हीकल सेक्टर नकारात्मक आँकड़े दिखाने से बच गया।