16000 करोड़ रुपये: भारतीय सड़कों से पुराने ट्रक्स को हटाने की कीमत
Published On Dec 13, 2016
भारत सरकार के महत्त्वाकांक्षी जीएसटी (गूड्स सर्विस टेक्स) बिल की लागत विशाल 16000 करोड़ रुपये हो सकती है, जो की उसको मिलेंगे पुराने प्रदूषण करने वाले ट्रक्स व अन्य व्हीक्ल्स को देश की सड़कों से हटाने के बाद। पुराने प्रदूषण फैलाने वाले व्हीक्ल्स को सड़कों से वापस वॉलंटरी व्हीकल मॉड़रनीज़ेशन प्रोग्राम के तहत हटाया जाएगा।
गाइडलाइन्स में, जीएसटी बिल पर विचार करने से पहले, यह शामिल किया गया है की जो ट्रक ओनर्स पुराने ट्रक्स से नये ट्रक्स पर अपग्रेड करेंगे उन को विभिन्न प्रकार की प्रोत्साहन राशि और छूट दी जाएगी। परंतु नये एक्साइस फ्रेम के अनुसार, सरकार को हो सकता है की 50,000 हज़ार से 60,000 तक या उससे ज़्यादा की राशि हर एक हेवी ट्रक के बदले में खर्च करनी पड़े।
वास्तविक वॉलंटरी व्हीकल मॉड़रनीज़ेशन प्रोग्राम के ढाँचे में, यदि पुराना ट्रक स्क्रेप किया जा रहा है तो, उस मालिक के लिए सीधे सीधे एक्साइस ड्यूटी आधी करने का प्रस्ताव था। लेकिन हालिया पॉलिसी में, ट्रक्स जो भारत स्टेज 4 कंप्लाइयेंट नहीं है या 31 मार्च 2005 से पहले खरीदे गये हैं, को दिए जानेवाली छूट और इनसेंटिव्स क बारे में फ़ैसला अभी लिया जाना बाकी है।
यह नया प्रस्ताव अभी भी अप्रूवल के इंतेज़ार में कई मंत्रालयों के सेक्रेटरीज़ की कोँमिटीज़ के पास रखा हुआ है जिस में सड़क, वित्तीय और वातावरण सम्बंधी मंत्रालय शामिल हैं। ऐसा माना जा रहा है की इस नये प्रस्ताव के लागू होने से देश भर में चल रहे करीब 20 लाख से ज़्यादा पुराने ट्रक्स पर असर पड़ेगा।
हेवी व्हीक्ल्स देश की कुल ट्रक्स आबादी का एक छोटा सा हिस्सा हैं, परंतु सबसे ज़्यादा फ़्यूल की खपत भी यही करते हैं, जो की 60 प्रतिशत से भी ज़्यादा है। इस के अतिरिक्त, यह भी मानना है की सड़कों पर चल रहे कुल व्हीक्ल्स में से 60 प्रतिशत प्रदूषण भी इन ही हेवी व्हीक्ल्स की देन है।
पुराने व्हीक्ल्स के स्क्रेप होने से, भारत सरकार को भी फ़ायदा होगा, जिससे उन्हें करीब 11500 करोड़ रुपये का स्टील स्क्रेप हर साल प्राप्त होगा।