सरकार ने स्वच्छ पर्यावरण के लिए स्माल कमर्शियल व्हीक्ल्स के एमिशन नॉर्म्स कड़े किए
Published On Jun 06, 2016
पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने की कठिबद्धता को लेकर भारत सरकार कई सारी अन्य बढ़ती हुई संस्थाओं के साथ मिलकर समुचित कदम उठा रही है। इन में से कमर्शियल व्हीकल एमिशन नॉर्म्स रेगुलेशन भी प्रमुख तौर पर है। मीडियम तथा हेवी कमर्शियल व्हीकल्स (एम एंड एचसीवी) के लिए भारत स्टेज 4 नॉर्म्स लागू करने के बाद सरकार अब स्मॉल कमर्शियल व्हीकल्स (एस सी वी) जैसे मार्केट को भी निशाने पर ला रही है। एससीवी पर अपने नियमों को और अधिक कड़ा करते हुए सरकारी संस्थाएं बीएस-5 तथा बीएस-6 एमिशन नॉर्म्स क्रमशः 2019-2020 और 2021-2022 सब 1 टन ग्रॉस व्हीकल वेट (जीवीडब्लू) वाले व्हीकल्स के लिए लागू करने जा रही है। इस की वजह से टाटा ऐस, अशोक लीलैंड दोस्त, बजाज मेक्ज़िमो सी तथा महिन्द्रा जीतो जैसे व्हीकल्स बनाने वाले प्रमुख मॅन्युफॅक्चरर्स प्रभाव पड़ेगा।
हालांकि, मॅन्युफॅक्चरर्स ने विचार किया है कि वो एससीवी में नई टेक्नोलॉजीज और सॉल्युशंस आदि को देने के लिए काम करेंगे ताकी नए एमिशन नॉर्म्स हासिल किए जा सके। इस काम के लिए एक प्रमुख चीज वर्तमान की डीजल पार्टीक्यूलेट फिल्टर (डीपीएफ) टेक्नोलॉजी प्रमुख है जो लॉ पावर्ड व्हीकल्स में दी आती है।
अभी बीएस-3 तथा बीएस-4 नॉर्म्स के साथ एससीवी मार्केट में घमासान मचा हुआ है इसकी वजह सरकार की ओर से जारी किया आदेश है, जो संभवतः सेल्स तथा व्हीकल्स की कीमतों को प्रभावित करेगा। यह निश्चि तौर पर माना जा रहा है कि नए नॉर्म्स की वजह से कीमतें (एससीवी का कुल कमर्शियल मार्केट में 11 फीसदी शेयर है) बढ़ेंगी। इस पर अपने विचार प्रकट करते हुए एक इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने कहा कि बीएस-5 तथा बीएस-6 सॉल्युशंस टाटा ऐस तथा महिन्द्रा मेक्ज़िमो जैसे सब टन व्हीकल्स के लिए नहीं है। इंडस्ट्री अब 2019 तक बीएस-5 स्टैंडर्ड की तरफ बढ़ने के लिए काम कर रही है। इसकी वजह से 95 फीसदी एमिशन कम होगा, वहीं बीएस-6 स्टैंडर्ड इसके दो साल के अंतराल बाद आएगा। उन्होंने कहा कि “नेक्सट फेज़ को लाना यह सुनिश्चित करेगा हम शानदार सॉल्युशंस डेवलप कर सकते हैं। इस काम में कम से कम लगभग 3 से 4 सालों का समय लगेगा।”
वहीं दूसरी तरफ कई सोर मॅन्युफॅक्चरर्स भी नए कदम उठा रहे हैं ताकी पर्यावरण को शुद्ध रखा जा सके। हालिया कदम के तौर पर डेमलर इंडिया कमर्शियल व्हीकल्स (डीआईसीवी) ने अपने चेन्नई प्लांट में सोलर फील्ड को बढ़ाया है। अब इस प्लांट की एनर्जी उत्पादन क्षमता 0.8 मेगावॉट से बढ़कर 3.3 मेगावॉट हो चुकी है। इस के अलावा वोल्वो भी ऐसे कंसेप्ट ट्रक का प्रोटोटाइप का परीक्षण कर रहा है जो तीन चौथाई तक ईंधर की खपत कम करने समेत रनिंग कॉस्ट को भी कम कर सकता है।