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इलेक्ट्रिक ट्रक्स: क्या हम 150 साल पुरानी टेक्नोलॉजी पर भरोसा कर सकते हैं?

Published On Jun 27, 2016By लिसा प्रधान

फ़ॉसिल-फ्री (जीवाश्म मुक्त) ट्रांसपोर्टेशन की तरफ एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए, स्वीडन ने हाल ही में गवले शहर के नज़दीक दुनिया का पहला इलेक्ट्रिक रोड शुरू किया है। यह विशाल उपलब्धि कमर्शियल व्हीकल मेकर द्वारा लगातार नये इनोवेशन का नतीजा है, जिस ने इस टेक्नोलॉजी को सहजता के साथ अपनाया। और इस का सबसे ताज़ा उदाहरण है विश्व को इलेक्ट्रिक ट्रक्स से अवगत कराना, जो की आहिस्ता-आहिस्ता हाल में चल रहे ट्रेंड को बदल रहे हैं।

क्या हैं इलेक्ट्रिक ट्रक्स?

सरल शब्दों में इलेक्ट्रिक ट्रक्स वो होते हीं जो की इलेक्ट्रीसिटी (यानी बिजली) से चलते हैं। कई सारे कमर्शियल व्हीकल मेकर्स हाइब्रिड ट्रक्स के साथ भी आ रहे हैं, जो की इंटर्नल कम्बशन इंजन्स और इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन के कॉंबिनेशन का इस्तेमाल करता है। वैसे देखा जाए तो इलेक्ट्रिक ट्रॅक्टर्स '90 के दशक से बनना शुरू हो गये थे और उस दौर का इलेक्ट्रिक व्हीक्ल्स में से अब तक जीवित रहने वाला शेवरोले एस-10 इलेक्ट्रिक पिक-अप है। इलेक्ट्रिक ट्रक्स का इस्तेमाल कई सारे एप्लिकेशन्स के अंतर्गत होता आया है जिस में शामिल हैं पिक-अप ट्रक्स, सेमी ट्रैलर, ट्रॅक्टर ट्रक्स, हॉलेज ट्रक्स, ऑफ रोड ट्रक्स और माइनिंग ट्रक्स।


हम किस पुरानी टेक्नॉलॉजी की बात कर रहे हैं?

जैसे-जैसे दुनिया फॉसिल फ़्यूल्स से नई टेक्नोलॉजीज़ की तरफ बढ़ रही है, तो हमें यह समझना होगा की यह टेक्नोलॉजीज़ महँगी और मुश्किल भी हो सकती हैं। यदि हम बात करें बेट्री ऑपरेटेड ट्रक्स की तो एक सेमी ट्रक को 800 किलो मीटर चलाने के लिए 23 टन वज़नी एक विशाल लिथिअम बेट्री की आवश्यकता होती है, जो की लगभग आधे ट्रक के वज़न के बराबर है। दूसरी तरफ, इतना ही सफ़र तय करने के लिए फ़्यूल सेल्स को 2 मिलियन डॉलर्स मूल्य के हाइड्रोजन फ़्यूल टेंक की ज़रूरत पढ़ेगी। इस के अतिरिक्त, सड़कों के अंदर समाई हुई वाइयरलेस चार्जिंग कॉईल्स स्टेक होल्डर्स को काफ़ी महँगी साबित हो सकती है और साथ ही उतनी एफीशियेंट भी नहीं होगी।

यहाँ एक बेहतर सल्यूशन के रूप में, पुराना केटीनरी सिस्टम हो सकता है, जहाँ ऊपर लगे इलेक्ट्रिकल वायर्स पंटोग्राफ्स का इस्तेमाल करते हुए पावर सप्लाइ करेंगे। केटीनरी का आविष्कार सन् 1870 में किया गया था, और तभी से इस सिस्टम ने अनगिनत ट्रेन्स और स्ट्रीट कार्स को पावर मुहैय्या करने में मदद की है। सुरक्षित, सस्टेनीबल और एनर्जी एफीशियेंट, यह व्हिकल्स, पंटोग्राफ के द्वारा, ऊपर लगे लाइन एक्विपमेंट के ज़रिए मेकॅनिकल और इलेक्ट्रिकल कॉन्टेक्ट में आते हैं और इलेक्ट्रिक सप्लाइ प्रदान करते हैं।


गत कुछ सालों में केटीनरी सिस्टम में भी काफ़ी बदलाव किए गये हैं। इस के चलते अब हाइब्रिड ट्रक, तेज़ स्पीड पर भी, बड़े आसानी से ओवर हेड चार्जिंग और बेट्री पावर के बीच स्विच कर सकते हैं। हालाँकि, आजकल के ट्रक्स डीज़ल हाइब्रिड्स हैं, फिर भी, इंटर्नल कम्बशन इंजन्स के इस्तेमाल को भविष्य में टाला जा सकता है व्यापक ओवर हेड वायर्स और एफीशियेंट बेट्रीज़ की मदद से।


किस तरह से विश्व के मुख्य कमर्शियल व्हीकल मेकर्स इस टेक्नोलॉजी को अपना रहे हैं?

दुनियाभर में मौजूद कई मुख्य कमर्शियल व्हीकल प्लेयर्स जैसे सीमेन्स, वोल्वो और स्कानिया, के साथ साथ कई सरकारी संस्थाओं, ने पहले से ही इस क्षेत्र में केटीनरी सिस्टम द्वारा संचालित इलेक्ट्रिक ट्रक्स के ट्राइयल्स शुरू कर दिए हैं। इतिहास बनाते हुए, स्कानिया ने स्वीडन में जून 22, 2016 को इस तरह का पहला ट्रक अपने इलेक्ट्रिक रोड्स पर उतारने में सफलता प्राप्त की। इस कदम का असल मकसद है साल 2030 तक फ़ॉसिल फ़्यूल्स को ट्रांसपोर्टेशन इंडस्ट्री से पूर्ण रूप से मुक्त कराना।

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