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डेमलर ट्रक्स ने क्रोस कॉन्टीनेंट प्लाटूनिंग इवेंट में भाग लिया

Published On Apr 05, 2016By प्रशांत तलरेजा

डेमलर यूरोप में स्थित उन प्रमुख कंपनियों में से एक है जो ड्राइव अवेयरनेस को बढ़ाने वाले क्रोस कॉन्टीनेंट ड्राइव में हिस्सा लेती हैं। इस ब्रैंड ने इस में अपनी तकनीकी से लैस तीन तरह के व्हीकल्स उतारे जो इस के जर्मनी स्थित स्टूगार्ट से पूरे बड़े मैराथन से रोटर्डड, यूरोपीयन यूनियन को डोमिनेट करने वाले नीदरलैंड्स आदि शामिल थे। जबकि इसके अन्य प्रमुख प्रतिद्वदियों के तौर पर कई सारी कंपनियों ने हिस्सा लिया जिन में स्कैनिया, वोल्वो तथा मेन शामिल है।

इसके ये तीनो व्हीकल्स एक्ट्रोस मॉडल पर बने हुए हैं और कई सारे नए सिस्टम्स के साथ आते हैं। इन सभी में सबसे महत्वपूर्ण मर्सिडीज का हाईवेज पायलट कनेक्ट सॉफ्टवेयर है जो एक व्हीकल टू व्हीकल यूनीक टेक्टिक मुहैया कराता है और ट्रक्स को एक प्लाटून की तरह ड्राइव करने में मदद करता है। यह ड्राइव से संबंधित पूरी जानकारी देता है तथा इस को पूरी से वाई-फाई वाले कनेक्शन से ट्रांसमिट किया गया है। इस वजह से ये ड्राइव से संबंधित सभी तरह की जानकारियां मुहैया कराता है। हालांकि यह व्हीकल एक ऑटोनॉमस ट्रक कहा जाता है तथा यह विशेषतौर पर सेल्फ ड्राइविंग कैपेसिटी रखता है जिसकी वजह से इस व्हीकल में एक प्रशिक्षत मानव ड्राइवर की ही जरूरत होती है।

ये तीनों ट्रक सड़क पर कुछ दूरी बनाए रखते हुए कम स्पेस में एक साथ होकर चलते हैं। यह फॉर्मेशन सड़क पर असुरक्षा को कम करते हुए सुरक्षा को बढ़ाता है। यह व्हीकल एक दूसरे व्हीकल को महज 0.1 सेकेंड में डेटा ट्रांमिट करने की क्षमता रखता है। यह एक मानव द्वारा लिए जाने निर्णय से काफी तेज है तथा एक सेकेंड से कुछ ही ज्यादा का समय है।

इस की वजह से सड़क पर किसी भी तरह का रिस्क नहीं है जैसे कि एक हेवी ड्यूटी ट्रक को जल्दी से ब्रेक लगाने के लिए ज्यादा स्पेस की जरूरत होती है। गलती से कम हुए मार्जिन को भांप कर हाईवे पायलट कनेक्ट सेफ्टी को बढ़ाने समेत पीछे से होने वाली भिड़ेत के मौकों को बहुत ही कम कर देता है। यह प्लाटून को ट्रैफिक जाम जैसी परिस्थतियों में सुरक्षित रखने में मदद करता है।

यह नई टेक्नोलॉजी कई मायनों में ऑवर ऑल राइड की क्वालिटी में बढ़ावा करने में मदद करेगी। यह सड़क पर व्हीकल को धकेलने वाली स्थति को भी कम करने का काम करती है तथा साथ ही यात्रा के दौरान घुमावों पर भी खत्म होने वाली एनर्जी को भी कम करती है। यह फ्यूल इकॉनोमी को भी मजबूत करती है तथा माइलेज को लगभग 10 फीसदी तक बढ़ा देती है। इस के अलावा कार्बन एमिशन भी सीधे तौर पर 10 फीसदी तक कम होता है।

माना जा रहा है कि ये तीनो ट्रक प्लाटून 6 अप्रैल तक रोटेर्डम पहुंच जाएंगे। कंपनी को अपने आप पर विश्वास है कि यह नई टेक्नोलॉजी ट्रकिंग इंडस्ट्री को आने वाले समय में ज्यादा एफिशियंट बनाने में अपनी भूमिका निभाने समेत ट्रांसपोर्ट की विश्वसनीयता में वृद्धि करेगी।

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