15 साल पुराने ट्रक्स होंगे आउट ऑफ सर्विस?
Published On Dec 21, 2016
दस लाख से ज़्यादा 15 साल पुराने ट्रक्स और बसेस की किस्मत का फ़ैसला अधर में लटका हुआ है, क्योंकि भारत सरकार देश में चल रहे इतने वर्ष पुराने व्हीक्ल्स पर वॉलंटरी व्हीकल फ्लीट मॉडरनाइज़ेशन प्लान (वी-वीएमपी) के तहत पूरी तरह प्रतिबंध (बेन) लगाना चाहती है। यह प्लान, यदि लागू किया जाता है, पुराने व्हीक्ल्स की स्क्रेपिंग पॉलिसी के साथ, तो इस का सीधा असर देश में ऑपरेट कर रहे अनगिनत हेवी व्हीक्ल्स पर भी पद सकता है।
भारत के रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय ने पॉलिसी के तहत अपने विचरों के बारे में पहले ही नॅशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन जी टी) के साथ जानकारी साझा कर चुकी है।
यह प्रस्ताव (प्रपोज़ल) अप्रूवल और सुझावों के लिए जल्द ही सेक्रेटरिेज़ की कई कमिटीज़ के सामने रखा जाएगा। इस प्रस्ताव में पुराने व्हीकल को स्क्रेप करने पर ज़ोर दिया गया है और साथ उस से उनके मालिकों को होने वाले फ़ायदे के बारे में जानकारी दी गयी है। ऐसा माना जा रहा है की प्रपोज़ल में, जिन ट्रक मालिकों के ट्रक्स स्करेप किए जाएँगे उनको मुआवज़ा या कोई प्रोत्साहन राशि देने की भी वकालत की गयी है।
इस बात के मज़बूत आसार हैं की व्हीकल मालिकों को एक्साइस ड्यूटी या अन्य टेक्सस में छूट तो मिलेगी ही, साथ साथ कुछ नकद रकम या भत्ता मिलने की भी आशा है। इस के अलावा, इस बात की भी संभावनाएँ हैं की प्रशासन अपनी ओर से अंतिम फ़ैसला लेते हुए एक ऐसी पॉलिसी बनाएँगे जिस के तहत साल 2019 से पुराने व्हीक्ल्स की स्करेपिंग अनिवार्य हो जाएगी।
भारत में कुल व्हीक्ल्स की संख्या में हेवी व्हीक्ल्स की हिस्सेदारी तीन प्रतिशत से भी कम है। लेकिन फिर भी, यह देश के कुल व्हीक्ल्स में से 60 प्रतिशत प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार हैं। यह भी अनुमान है की हेवी व्हीक्ल्स, जिन में पुराने ट्रक्स शामिल हैं, सबसे ज़्यादा फ़्यूल खपत में लेते हैं।
वॉलंटरी व्हीकल मॉडरनाइज़ेशन प्रोग्राम के इस प्रपोज़ल के पिछले संस्करण में एक्साइस ड्यूटी में पचास प्रतिशत की छूट का प्रस्ताव रखा गया था, जो की वित्तीय मंत्रालय द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया था। ऐसा अनुमान भी लगाया जा रहा है की यदि यह स्क्रेपिंग पॉलिसी अनिवार्य कर दी जाती है, तो यह भारत सरकार को स्टील स्क्रेप, जिस का मूल्य 11500 करोड़ रुपये है, के मध्यम से वित्तीय सहयता देगा।